गरीब का बेटा बना ISRO में वैज्ञानिक, घर में मुश्किल से बनता था दो टाइम खाना

“2007 तक भी मेरे गाँव में बिजली नहीं थी। मेरा परिवार भी आर्थिक रूप से बहुत अच्छा नहीं था। मैंने सोच लिया था कि अपने घर की स्थिति को सुधारना है और माता-पिता के लिए कुछ करना है। मैं 10वीं में था जब APJ अब्दुल कलाम, विक्रम साराभाई के बारे में पढ़ा और कल्पना चावला के बारे में जाना। उनकी कहानियों ने मुझे बेहद प्रेरित किया और तभी स्पेस के क्षेत्र में रुचि हो गई। 10वीं का वो लड़का फिर ISRO में जाने का सपना देखने लगा।

गांव से निकलकर ISRO में जाने का सफ़र आसान नहीं था

2006 में मैंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की। कॉलेज जाना भी चुनौतियों से भरा था, क्योंकि मैं गाँव से निकलकर आया था, हिंदी मीडियम में पढ़ा था लेकिन इंजीनियरिंग में सारी पढ़ाई अंग्रेज़ी में होती थी। समझने में काफी दिक्कत आई लेकिन मैंने इंग्लिश सीखी, उस समय में यह मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। आज मैं अच्छी-खासी अंग्रेज़ी जानता हूँ।

मैंने स्कॉलरशिप की मदद से मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की और फिर मुझे ISRO से जुड़ने का मौक़ा मिला। कुछ समय बाद चंद्रयान टीम का भी हिस्सा बन गया। आगे अगर मौक़ा मिलेगा तो मैं स्पेस ट्रैवल भी करना चाहता हूँ।”

गरीब का बेटा बना ISRO में साइंटिस्ट नितीश श्रीमल

ISRO Scientist, नीतीश श्रीमाल


बचपन से ही परिवार, पढ़ाई और करियर, हर जगह नीतीश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। आम रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी उन्हें काफ़ी मुश्किलें उठाने पड़ती थीं। इसलिए छोटी उम्र से ही उन्होंने अपनी मुश्किलों से खुद लड़ना सीख लिया था।

मेहनत और कुछ करने का जज़्बा उनके दिल में बसते थे। और यही थे जिन्होंने उनको एक अलग रास्ता चुनने का आत्मविश्वास दिया और वह ISRO से जुड़ गए। राजस्थान के एक छोटे से गाँव से निकलकर ISRO तक पहुँचने की नीतीश श्रीमाल की कहानी आज लाखों युवाओं को प्रेरित कर रही है।

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