आज हम सफलता की एक ऐसी कहानी आपको बताने जा रहे हैं, जिसे पढ़कर आंखों में आंसू आ जाएंगे। आगरा में भाई-बहनों ने पुलिस में उपनिरीक्षक (दरोगा) बनकर अपने मजदूर पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। पिता दिन-रात मेहनत करके छह हजार रुपये महीना कमाते थे। किसी तरह घर का पालन-पोषण चल रहा था। तभी भाई-बहन ने पुलिस उपनिरीक्षक (दरोगा ) बनने का फैसला किया। किस्मत और लग्न की वजह से दोनों ने पिता का नाम रोशन कर दिया है। जब दोनों ने पिता के सिर पर पुलिस की टोपी लगाई तो उनकी भी आंखें भर आईं।
एक साथ भाई बहन दोनों बने दरोगा
आगरा के अर्जुन नगर में बलबीर सिंह अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके दो बेटे और एक बेटी है। बलबीर बताते हैं कि मैं और पत्नी अधिक पढ़े-लिखे नहीं थे, इसलिए परिवार चलाने के लिए दिन-रात मेहनत करते थे। सभी के लिए महीने में 30 दिन होते हैं, लेकिन मैंने नाइट शिफ्ट लगाकर 45 दिन काम किया। तब जाकर महीने के छह हजार रुपये कमाए, ताकी बच्चों की पढ़ाई का संकट न हो। मेरा संघर्ष बच्चे भी देखते थे, जिसके कारण उन्होंने सीमित संसाधनों में भी अच्छी पढ़ाई की। एकसाथ दोनों बच्चों का यूपी पुलिस में उप निरीक्षक पद ( दरोगा) पर चयन हुआ है। दोनों ने मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।
मिर्जापुर पुलिस एकेडमी में पुलिस पासिंग आउट :
मिर्जापुर पुलिस अकादमी में 13 मार्च को हुए पुलिस पासिंग आउट परेड में उनका बेटा शिशांक कमलेश और बेटी सिमरन कमलेश का चयन यूपी पुलिस में उप निरीक्षक पद ( दरोगा ) पर हुआ है। बेटे को वर्तमान में लखनऊ के जानकीपुरम थाने में तैनाती मिली है।
उपनिरीक्षक के पद पर चयनित हुए शशांक ने बताया, ‘मेरी 10वीं और 12वीं की पढ़ाई शाहगंज स्थित राजकीय इंटर कॉलेज से हुई है। इसके बाद मैंने आरबीएस बिचपुरी से बीटेक किया। कुछ दिन तक एक निजी कंपनी में जॉब भी किया। 2021 से नया लक्ष्य बनाया और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की। पहले ही प्रयास में मेरा चयन हो गया। मेरी बहन सिमरन ने बीएससी आगरा कॉलेज से जबकि एमएससी एसएस कॉलेज मलपुरा से की है।