“ठाकुर का कुऑं ” कविता पर क्यों हुआ मनोज झा और आनंद मोहन में विवाद जानिए

ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता ठाकुर का कुऑं इन दिनों काफ़ी सुर्खियों मे है पढ़िए पूरी कविता

चूल्हा मिट्टी का
मिट्टी तालाब की
तालाब ठाकुर का।

भूख रोटी की
रोटी बाजरे की
बाजरा खेत का
खेत ठाकुर का।

बैल ठाकुर का
हल ठाकुर का
हल की मूठ पर हथेली अपनी
फ़सल ठाकुर की।

कुआँ ठाकुर का
पानी ठाकुर का
खेत-खलिहान ठाकुर के
गली-मुहल्ले ठाकुर के
फिर अपना क्या?

गाँव?
शहर?
देश?

~~ रचयेता: ओमप्रकाश वाल्मीकि

क्या और कैसे हुआ ठाकुर का कुऑं कविता पर विवाद जानिए

संसद में महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने ‘ठाकुर का कुआँ’ कविता पढ़ी थी.

इस कविता पाठ के बाद बिहार की सियासत में एक नया विवाद शुरू हो गया है. इस मुद्दे को राजपूत सम्मान से जोड़कर कई नेता मनोज झा पर आरोप लगा रहे हैं.

मनोज झा पर आक्रामक तेवर दिखाने में सबसे आगे हैं हाल ही में जेल से रिहा हुए आनंद मोहन सिंह और उनके बेटे चेतन आनंद. चेतन आनंद आरजेडी के विधायक हैं.

लालू प्रसाद यादव ने किया ठाकुर का कुऑं का सपोर्ट

लेकिन इस मुद्दे पर आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने मनोज झा का समर्थन किया है.

लालू यादव ने कहा है, “मनोज झा जी विद्वान आदमी हैं. उन्होंने सही बात कही है. राजपूतों के ख़िलाफ़ उन्होंने कोई बात नहीं की है. जो सज्जन बयान दे रहे हैं वो जातिवाद के लिए कर रहे हैं, उन्हें परहेज़ करना चाहिए.”

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