मधुबनी 15 अप्रैल 2023 : मेरा नाम मुकुंद कुमार झा है मैं बिहार के मधुबनी का रहने वाला हूं. मां सीता की नगरी मिथिला से मेरा पुराना नाता है. मैं 2019 बैच के आईएएस अधिकारी हूं. देशभर में मुझे 54 रैंक मिला था. मात्र 22 साल की उम्र में मैं अफसर बन चुका था. जिस दिन मेरा रिजल्ट आया था उस दिन मम्मी पापा के साथ साथ गांव के सभी लोग बहुत खुश थे. सबको मुझ पर नाज था कि मैं आईएएस अधिकारी बन चुका हूं. मेरे लिए तो मानो यह सपना साकार होने के समान था. हालांकि आईएएस अधिकारी बनना मेरे लिए कोई आसान काम नहीं था. तो चलिए आज आपको अपनी कहानी सुनाता हूं.
मुकुंद झा के पिता है किसान
मैं पहले ही आपको बता चुका हूं कि मेरा जन्म बिहार के मधुबनी में हुआ था. बाबू बड़ी प्रखंड में मेरा गांव है. मेरे पिता एक किसान थे . मां प्राइमरी स्कूल में टीचर थी. हम तीन भाई बहन हैं.
मुझे आज भी याद है जब मैं क्लास फाइव में पढ़ता था तभी किसी ने मुझे आईएएस और आईपीएस के बारे में बताया था. बाद के दिनों में समझ आया कि आखिर यूपीएससी क्या होता है. डीएम बनने का रुतबा क्या होता है. फिर क्या था आईपीएस बनने का सपना मैंने अपना लक्ष्य बना लिया. परिवार का अर्थ की स्थिति बहुत अच्छा नहीं कहा इसलिए मैंने खुद से पढ़ने का फैसला लिया और किसी भी कोचिंग सेंटर को ज्वाइन नहीं किया.

मुकुंद बताते हैं कि क्लास 5:00 तक कि मेरी पढ़ाई बिहार के आवाज से सरस्वती विद्यालय से संपन्न हुई है. इसके बाद में असम के गोलपारा में स्थित एक सैनिक स्कूल में चला गया. इंटर तक की पढ़ाई मैंने वही की. बाघ के दिलों में मैं दिल्ली चला आया. दिल्ली यूनिवर्सिटी के पीजीडीएवी कॉलेज से अंग्रेजी लिटरेचर में ग्रेजुएशन किया.
आप लोगों को विश्वास नहीं होगा लेकिन यह सच है इस साल 2019 में मैंने पहली बार यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला लिया था और परिणाम निकलने पर मैं कामयाब रहा. मैं अपने आप को भाग्यशाली समझता हूं कि पहले ही प्रयास में सफलता हाथ लगी. मैं दिन में 12 से 14 घंटा पढ़ाई किया करता था और सोशल मीडिया से दूर रहता था.
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