रेलवे गार्ड का बेटा आशुतोष ISRO में वैज्ञानिक बनकर नाम किया रौशन, जानिए कैसा रहा यहां तक का सफ़र

आज भी कई ऐसे युवा हैं जो विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं। आज भी कई युवा इस क्षेत्र में जाने के लिए कड़ी मेहनत भी कर रहे हैं। ऐसे में ज़्यादातर युवाओं का सपना है कि उन्हें भी ISRO में काम करने का मौका मिले। इसके लिए भी युवा तैयारी भी करते हैं। लेकिन कई लोग संसाधनों का हवाला देते हुए ऐसी परीक्षाओं में भाग ही नहीं लेते हैं।

लेकिन आज हम आपको एक ऐसे युवा के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने कम संसाधनों में भी अपने सपने को पूरा कर लिया है। इनका नाम आशुतोष कुमार है जिनका चयन हाल ही में ISRO में वैज्ञानिक पद पर हुआ है। आशुतोष के पिता एक रेलवे गार्ड के तौर पर नौकरी करते हैं। कम संसाधनों में भी आशुतोष ने हार नहीं मानी और अपने सपनों को पूरा कर पूरे परिवार का नाम रोशन कर दिया। आइए जानते हैं आशुतोष के बारे में।

धनबाद के रहने वाले हैं आशुतोष

आमतौर पर लोग बिना कोशिश करे ही हार मानकर बैठ जाते हैं। लेकिन किसी ने सही कहा है कि “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है” आज जो लोग बिना हार माने कोशिश कर रहे हैं और उन्हीं लोगों को ही सफलता मिल रही है। आज कहानी एक ऐसे ही युवा की जिसने प्रतिकूल परिस्थितियों में न सिर्फ सपने को देखा बल्कि उसे पूरा भी कर दिखाया। ये युवा कोई और नहीं आशुतोष कुमार हैं।

हाल ही में आशुतोष ने ISRO की परीक्षा को पास किया है। जिसके बाद उन्हें वैज्ञानिक का पद दिया गया है। आज हर कोई आशुतोष की सफलता पर गर्व कर रहा है। आशुतोष के लिए भी इस मक़ाम तक पहुंचना वाकई आसान नहीं था लेकिन जब हौंसलें बुलंद हों तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है। आशुतोष झारखंड के धनबाद के सरायढेला विकास नगर के निवासी हैं।

आशुतोष के पिता का नाम चंद्रभूषण सिंह हैं जो रेलवे में रेलवे गार्ड की नौकरी करते हैं। लेकिन अब उनके बेटे ने ISRO में वैज्ञानिक का पद पाकर सफलता की एको नई कहानी लिख दी है। आज आशुतोष के पिता को भी अपने बेटे की सफलता पर गर्व हो रहा है। आशुतोष के पूरे परिवार में परिणाम आने के बाद खुशी का माहौल है। वहीं आशुतोष भी अपनी सफलता से बेहद खुश हैं।

देश सेवा करना चाहते थे आशुतोष

बेशक आशुतोष के पिता एक रेलवे गार्ड के तौर पर नौकरी करते हैं लेकिन अब उनके बेटे ने भारत में एक वैज्ञानिक के तौर पर अपनी पहचान बनाई है। आशुतोष ने अपनी शुरुआती पढ़ाई को डिनोबिली से पूरी की है। इसके बाद आशुतोष ने दून पब्लिक स्कूल में भी पढ़ाई की। यहाँ से पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई आशुतोष ने BIT मेसरा, IIT ISM से पूरी की।

जानकारी के मुताबिक आशुतोष शुरुआत से ही वैज्ञानिक बनना चाहते थे। शुरुआत से उन्होंने अपने मन में साइंटिस्ट के तौर पर देश के लिए कुछ करने का ठान लिया था। अब ISRO में चयन होने के बाद उनका ये सपना पूरा हो चुका है। वहीं आशुतोष के दादा का भी सपना था कि वे ISRO में वैज्ञानिक के तौर पर काम करें। इस सफलता में आशुतोष अपने माता पिता का सबसे अहम योगदान भी बताते हैं।

आशुतोष ने मीडिया से बातचीत के दौरान ये भी कहा कि ISRO देश की प्रगति में अहम भूमिका निभाता है इसलिए उनका भी सपना था कि वे ISRO के साथ देश के लिए कुछ अच्छा काम करें। अपने बेटे की सफलता से आशुतोष के माता पिता भी बेहद खुश हैं। आशुतोष ने आज पूरे भारत में अपने माता पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। हर कोई आशुतोष की कड़ी मेहनत और जज़्बे को सलाम कर रहा है।

ये होती है ISRO में चयन प्रक्रिया

बता दें कि ISRO में जगह बनाना और एक वैज्ञानिक के तौर पर काम करने से पहले व्यक्ति को एक कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। ISRO में शामिल होने के लिए व्यक्ति का 12वीं कक्षा में नॉन मेडिकल यानि फ़िज़िक्स, कैमिस्ट्रि और मैथ्स के साथ पढ़ा होना अनिवार्य है। वहीं इसके बाद व्यक्ति के पास बीटेक की 65% अंकों के साथ डिग्री होनी चाहिए।

इसके बाद ISRO खुद की परीक्षा लेता है जिसमें बहुविकल्पीय प्रश्न होते हैं। इस परीक्षा में हर विषय के दो खंड बनाए जाते हैं। इस परीक्षा में कम से कम 60% अंक लाना अनिवार्य होता है। इस परीक्षा के बाद साक्षात्कार लिया जाता है और फिर मेरिट के आधार पर ही चयन किया जाता है।

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