समस्तीपुर में गोभी की फसल पर ट्रैक्टर चलाने वाले किसान की बदली किस्मत, जानें मंत्री और कंपनी ने कैसे की मदद

बिहार के समस्तीपुर जिले में किसान के एक रुपये किलो भी नहीं बिकने पर निराश होकर गोभी की फसल पर ट्रैक्टर की चलाने की खबर वायरल होने का दूसरा सुखद पहलू भी सामने आया।

दरअसल खबर वायरल होने के बाद पुणे की एग्री ट्रेन एक्स कंपनी के प्रतिनिधि ने किसान के मोबाइल पर फोन कर वसुधा केंद्र के माध्यम से सब्जी खरीदने का वादा किया। वहीं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की मदद से किसान को दिल्ली में भी खरीदार मिल गए हैं।

मुक्तापुर के किसान ओम प्रकाश यादव से बात कर कंपनी के प्रतिनिधि ने कहा कि कंपनी उनके साथ अन्य किसानों से भी सब्जी खरीदेगी। किसान ओमप्रकाश यादव को कंपनी ने प्रतिदिन 50 क्विंटल सब्जी गाड़ी पर लादकर भेजने को कहा है। किसानों को सब्जी की कीमत भी वसुधा केंद्र के माध्यम से मिलेगी। वैसे बुधवार को कंपनी के प्रतिनिधि भी वसुधा केंद्र पर आएंगे। इसके अलावा भी किसान से कई कंपनियों ने संपर्क किया है।

उधर फसल पर ट्रैक्टर चलाने की खबर वायरल होने के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मदद को सामने आए और लगातार कई ट्वीट किए। उन्होंने बताया, ‘मैंने अपने विभाग के कॉमन सर्विस सेण्टर को निर्देश दिया कि इस किसान से संपर्क कर इनकी फसल को देश के किसी भी बाज़ार में उचित मूल्य पर बेचने का प्रबंध किया जाए। @CSCegov_ के डिजिटल प्लेटफॉर्म ई-किसान मार्ट पर इस किसान को दिल्ली के एक खरीददार ने 10 रुपए प्रति किलो का मूल्य ऑफर किया।’

रविशंकर प्रसाद ने लिखा कि- कल मीडिया के द्वारा मुझे खबर मिली थी कि बिहार के समस्तीपुर के मुक्तापुर गांव के किसान ओम प्रकाश यादव को अपने खेत में उगाई गोभी की फसल का स्थानीय आढ़त में मात्र एक रुपया प्रति किलो भाव मिल रहा था। निराश हो कर उन्होंने अपने खेत के कुछ हिस्से पर ट्रैक्टर चलवा कर फसल को नष्ट कर दिया।

उन्होंने लिखा कि- मैंने अपने विभाग के कॉमन सर्विस सेण्टर को निर्देश दिया कि इस किसान से संपर्क कर इनकी फसल को देश के किसी भी बाज़ार में उचित मूल्य पर बेचने का प्रबंध किया जाये। @CSCegov_ के डिजिटल प्लेटफॉर्म ई-किसान मार्ट पर इस किसान को दिल्ली के एक खरीदार ने दस रूपये प्रति किलो का मूल्य ऑफर किया।

अगले ही ट्वीट में उन्होंने एक फोटो शेयर करते हुए लिखा कि- किसान और खरीदार की आपसी सहमति कुछ ही घंटों में किसान के बैंक खाते में आधी राशि एडवांस के रूप में पहुँच गई। आज मुझे पता चला है कि न सिर्फ ट्रांसपोर्ट उपलब्ध करवाया गया बल्कि बची हुई राशि भी किसान के बैंक खाते में जमा हो गई है और समस्तीपुर की गोभी दिल्ली के लिए रवाना हो गई है।

अगले ही ट्वीट में उन्होंने एक फोटो शेयर करते हुए लिखा कि- किसान और खरीदार की आपसी सहमति कुछ ही घंटों में किसान के बैंक खाते में आधी राशि एडवांस के रूप में पहुँच गई। आज मुझे पता चला है कि न सिर्फ ट्रांसपोर्ट उपलब्ध करवाया गया बल्कि बची हुई राशि भी किसान के बैंक खाते में जमा हो गई है और समस्तीपुर की गोभी दिल्ली के लिए रवाना हो गई है।

अगले ही ट्वीट में उन्होंने एक फोटो शेयर करते हुए लिखा कि- किसान और खरीदार की आपसी सहमति कुछ ही घंटों में किसान के बैंक खाते में आधी राशि एडवांस के रूप में पहुँच गई। आज मुझे पता चला है कि न सिर्फ ट्रांसपोर्ट उपलब्ध करवाया गया बल्कि बची हुई राशि भी किसान के बैंक खाते में जमा हो गई है और समस्तीपुर की गोभी दिल्ली के लिए रवाना हो गई है।

किसान और खरीदार की आपसी सहमति कुछ ही घंटों में किसान के बैंक खाते में आधी राशि एडवांस के रूप में पहुँच गई। आज मुझे पता चला है कि न सिर्फ ट्रांसपोर्ट उपलब्ध करवाया गया बल्कि बची हुई राशि भी किसान के बैंक खाते में जमा हो गई है और समस्तीपुर की गोभी दिल्ली के लिए रवाना हो गई है।

उन्होंने लिखा कि – अब @narendramodi सरकार के नए कृषि कानूनों ने किसान को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दे दी है। बिहार का ये किसान जिसे स्थानीय मंडी में मिल रहे दाम से निराश हो कर अपनी फसल नष्ट करने पर मजबूर होना पड़ा था, अब स्थानीय दाम से दस गुना अधिक दाम पर दिल्ली में अपनी फसल बेच पाया है।

एक रुपये किलो भी नहीं बिकी फसल तो फसल पर ट्रैक्टर चलवाया
आपको बता दें कि समस्तीपुर जिले के मुक्तापुर में एक किसान ओमप्रकाश यादव ने मेहनत से उगाई अपनी ही गोभी की फसल पर ट्रैक्टर चलाकर उसे नष्ट कर दिया था। किसान ओमप्रकाश यादव ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा था कि गोभी की खेती में उसने चार हजार रुपये प्रति कट्ठा का खर्च किया। इसके बावजूद मंडी में यह एक रुपये किलो भी नहीं बिक रही है। फसल तैयार करने से लेकर उसे मंडी में पहुंचाने में काफी खर्च हो जाता है और मंडी में जब ये एक रुपये किलो भी नहीं बिक रही तो निराशा होती है। इसलिए मजबूरन अपनी फसल पर ट्रैक्टर चलवाकर उसे खेत में ही नष्ट करना पड़ा। किसान ने बताया कि दूसरी बार उसकी फसल बर्बाद हुई है। इससे पहले भी एक बार उसकी तैयार फसल को सस्ते में भी खरीदने वाला कोई नहीं मिला। अपनी योजना बताते हुए उन्होंने कहा कि- सब्जी की खेती से निराश होकर अबकी बार वह गेहूं उपजाएंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से एक रुपया भी लाभ नहीं मिल रहा है।

Input:- Live Hindustan

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