बिहार के चम्पारण अहुना मटन को मिलेगा राष्ट्रीय पहचान, जीआई टैग दिलाने में जुटा प्रशासन

आज बिहार का शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो की चंपारण के अहुना मटन हांड़ी के बारे में नही जानता होगा आज यह चंपारण का अहुना मटन बिहार के साथ साथ देश और दुनिया में मशहुर हैं. बताया जाता हैं की इस खास भोजन का आरम्भ पूर्वी चंपारण से हुआ है, वही इसके कई तार नेपाल के सीमावर्ती इलाकों तक भी जुड़ा हुआ हैं. बता दे की पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन से शुरू होकर दुनिया में धूम मचाने वाले अहुना मटन को जल्द ही एक बड़ी राष्ट्रीय पहचान मिलने वाली हैं।

बता दे की चंपारण में इसे मिट्टी के ढक्कन से ढककर आटा से सिलकर बनाया जाता है. जिसको की अब जिला प्रशासन के द्वरा राष्ट्रीय पहचान दिलाने की कवायत शुरू हो गई हैं. मिली जानकारी के अनुसार, चंपारण के अहुना मटन भौगोलिक संकेतक यानी जीआई टैग दिलाने के लिए जिला प्रशासन जुट चूका हैं।

जानकारी के अनुसार, जीआई टैग किसी भी उत्पाद की गुणवत्ता व उसकी विशेषता को दर्शाता के लिए एक संकेत का रूप होता हैं. बता दे की जीआई टैग पुरे देश में मान्य होता है. इसके साथ साथ यह बताया जाता हैं की अगर चंपारण के अहुना मटन को जीआई टैग मिल जाता है तो चंपारण का मीट ढाबा, होटल के माध्यम से रोजगार दिलायेगा और लोगों के पलायन पर रोक लगेगी।

जीआई टैग के लिए चंपारण डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने 11 लोगों की एक टीम की कमेटी का गठन किया है. इसके साथ ही बताया जा रहा हैं की जल्द ही यह कमेटी चंपारण के मटन को जीआई टैग देने की मांग को लेकर अपने प्रस्ताव प्रशासन के माध्यम से सरकार तक तक ले जाएगी।

बिहार के लोकप्रिय अहुना मटन जीआई टैग मिलने के बाद दुकानदारों, रेस्टोरेंट मालिकों, मीट शॉप दुकानदारों की आमदनी में काफी वृद्धि होगी. इसके साथ ही यहां अब स्वच्छता का ध्यान रखने के साथ पैकेजिंग पर भी ध्यान दिया जाएगा. इसके साथ ही इसको यह टैग मिलने पर बिहार के लिए बहुँत बड़ी होगी।

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