‘जय छठी मईया’ : मुस्लिम महिलाएं भी करेंगी छठ पूजा, किसी को मन्नत से हुआ बेटा तो किसी का बना घर

लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा जाति और धर्म जैसे दायरों में नहीं बंधती है. बिहार के सबसे बड़े महापर्व छठ पूजा को कई मुस्लिम परिवार भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं. यह परंपरा नई नहीं, बल्कि दशकों से चली आ रही है. गोपालगंज शहर के हजियापुर की रहनेवाली रेहाना खातुन भी इस बार छठ पूजा कर रहीं हैं. गुरुवार को बाजार में छठ पूजा की सामग्री खरीदने के लिए निकली रेहाना खातुन और मलिका खातुन ने बताया कि मन्नत मांगी थी कि घर बन जायेगा, तब छठ माता की व्रत रखकर पूजा करेंगी.

रेहाना बताती हैं कि जब भी घर में काम लगाने की कोशिश होती थी तो कोई न कोई विपदा आ जाती थी. इसके बाद उन्होंने छठ घाट पर घर बनने की मन्नत मांगी. इस साल रेहाना के घर बनने की मन्नत पूरी हो रही है. इसलिए पूरे विधि-विधान के साथ छठ पूजा कर रहीं हैं. वहीं हजियापुर गांव की रहनेवाली मलिका खातुन ने बताया कि यहां पर कई ऐसे परिवार हैं, जो छठ पूजा पहले से करते आ रहे हैं. इन परिवारों के अनावा नोनीया टोला का एक परिवार है, जहां बेटा होने की मन्नत पूरी होने पर इस बार छठ पूजा हो रही है.

कोरोना काल में मांगी थी मन्नत

छठ पूजा कर रहीं सहाना खातुन ने बताया कि सालों से बेटा नहीं हो रहा था. किसी ने बताया कि छठ घाट पर जाकर मन्नत मांगने से मुरादें पूरी होती हैं. कोविड काल में छठ घाट पर पहुंची सहाना खातुन ने मन्नत मांगी, जिसके बाद मन्नत पूरी होने पर इस बार छठ व्रत कर रहीं हैं. सहाना ने बताया कि पूरे विधि-विधान के साथ बाजार से दउरा, सूपा, मिट्टी के कलश समेत अन्य सामग्रियों की खरीदारी कर ली है. शुक्रवार को नहाय-खाय करेंगी, इसके बाद खरना कर छठ घाट पर सूर्योपासना के महापर्व की अराधना करेंगी.

चार दिनों तक चलेगा छठ का अनुष्ठान

छठ महापर्व की शुरुआत कल नहाय-खाय के साथ शुरू हो रही है. चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्ध्य और चौथे दिन उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हुए समापन होता है. छठ महापर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार होता है. लिहाजा नारायणी नदी के घाट पर स्नान के लिए जहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. वहीं गुरुवार को बाजारों में पूजा की सामग्री खरीदने के लिए सुबह से ही लोगों की भीड़ जुटी रही. धार्मिक मान्यता के अनुसार छठ का त्योहार संतान प्राप्ति करने की कामना, कुशलता, सुख-समृद्धि और उसकी दीर्घायु की कामना के लिए किया जाता है. चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय से इस पर्व की शुरुआत हो चुकी है.

Source : News 18

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