बिहार में ई-रिक्शा चालक के बेटे हर्ष का ISRO के राकेट रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए सिलेक्शन हुआ

Patna: भारत के बिहार राज्य में रहने वाले हर्ष राजपूत का चयन इसरो में काम करने के लिए हो गया है। हर्ष राजपूत एक बहुत ही होशियार और योग्य छात्र है, जोकि बहुत ही गरीब परिस्थिति का लड़का है, इसके पिता अपने परिवार को चलाने के लिए रिक्शा चलाते हैं। हर्ष राजपूत की एक छोटी बहन है, पद्धति जोकि हर्ष राजपूत से छोटी है और अपनी शिक्षा ग्रहण कर रही है। हर्ष राजपूत की मां एक शुद्ध और सरल ग्रहणी है।

बिहार में बाल भवन किलकारी संस्था

भारत के बिहार राज्य में बाल भवन किलकारी संस्था शासन द्वारा संचालित की गई है, जिसमें गरीब और योग्य बच्चों को निशुल्क या कम फीस के द्वारा उनके कैरियर को आगे बढ़ाया जाता है। इसी संस्था के विद्यार्थी हर्ष राजपूत हैं, जो विज्ञान विषय में कक्षा 11वीं के छात्र हैं।

इस संस्था में ऐसे अनेक बच्चों को आगे लाया जाता है, जो गरीब परिस्थितियों के कारण अपनी शिक्षा को और अपने टैलेंट को आगे नहीं बढ़ा सकते है। ऐसे बच्चों को यह संस्था उनकी शिक्षा को और उनके टैलेंट को आगे बढ़ाती है।

इसी कड़ी में हर्ष राजपूत इस किलकारी संस्था का नाम बढ़ाते हुए इसरो में भारत के पहले आरएलवी राकेट “अटल यान” प्रोजेक्ट (Atal Yaan Project) में कार्य करने के लिए चयन हुआ है। इस प्रोजेक्ट द्वारा पूरे भारतवर्ष में लगभग 3:50 हजार खोज कर्ताओं को भर्ती किया गया है, जिसमें हर्ष राजपूत, जोकि बिहार (Bihar) की बाल भवन किलकारी संस्था के विज्ञान वर्ग में कक्षा 11वीं के छात्र हैं, उनका चयन सफलतापूर्वक किया गया है।

इस प्रोजेक्ट (ISRO rockets research project) में जिन 3:30 हजार शोधकर्ताओं को चुना गया है, उनमें हर्ष राजपूत (Harsh Singh Rajput) सबसे कम उम्र के छात्र हैं, जिनका चयन हुआ है, यह भारत के लिए बहुत ही गर्व की बात है और बिहार के बाल भवन किलकारी संस्था के लिए बहुत ही गौरव और सम्मानजनक परिणाम है।

एरोस्पेस कंपनी को राकेट बनाने के लिए चुना

डीआरडीओ एवं इसरो ने अटल यान आर्बिटएक्स इंडिया की एरोस्पेस कंपनी को राकेट बनाने की जिम्मेदारी दी। एरोस्पेस कंपनी, डीआरडीओ एवं इसरो की ही एक कंपनी है। जो अटल यान प्रोजेक्ट पर ही कार्य करेगी। अटल यान एक बार फिर पुनः प्रयोज्य दो चरणों वाला राकेट बनेगा। जिसे आर्बिटएक्स कंपनी द्वारा ही डिजाइन किया गया है।

यह कंपनी इसरो एवं डीआरडीओ की ही एक शाखा है। हर्ष सिंह राजपूत अटल यान के एयर ब्रिदिंग सिस्टम रिसर्च बोर्ड में काम करेंगे। हर्षसिंग राजपूत के द्वारा यह बोला गया है की यह वायु श्वास प्रणाली है। जिसमे राकेट इंजन लगभग आधी उड़ान के लिए वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन गैस को प्राप्त करता है।

जिस प्रकार मनुष्य को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन प्राणवायु की जरूरत होती है, उसी प्रकार यह राकेट भी अपनी आधी उड़ान भरने के लिए वायुमंडल से ऑक्सीजन प्राप्त करेगा। यह उसके लिए भी प्राणवायु के समान है। अटल यान प्रोजेक्ट को 6 बोर्डों में बांटा गया। हर बोर्ड के लिए एक शोधकर्ता और उसका असिस्टेंट नियुक्त किया गया है, जो उसके कार्य में सहायक होगा।

हर्ष सिंह राजपूत अटल यान के लिए एयर ब्रिदिंग सिस्टम रिसर्च बोर्ड के 3 माह का इंटरशिप कर चुके हैं और आर्बिटीक्स कंपनी द्वारा इन्हें इंटरशिप का प्रमाण पत्र भी दे दिया गया है, जिसमें इनका चयन एक शोध कार्यकर्ता के रूप में है।

हर्ष सिंह राजपूत की प्रतिभा और उनका टैलेंट

करोना काल के दौरान हर्षवर्धन राजपूत ने अपने एक और टैलेंट को लोगों के सामने उजागर किया, उन्होंने अधिक आयु वर्ग के बुजुर्गों लोगों को मास्क लगाने के दौरान सांसो में होने वाली तकलीफ को दूर करने के लिए एक नए प्रकार का मास्क बनाया जिसे एंटी सफोकेशन मास्क के नाम से जाता है।

फैन माड्यूल सेड्यूल से बना यह मास्क तापमान, नमी और सीओ टू के स्तर को कम करता है और यह हानिकारक वायु प्रदूषण में भी सुरक्षित हवा प्रदान करता है। यह एंटी सफोकेशन मास्क प्रति मिनट 240 लीटर तक स्वच्छ हवा दे सकता है। जो की एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए पर्याप्त है। परंतु इसकी कीमत थोड़ी ज्यादा है, इसकी कीमत भारतीय रूपयो में लगभग 600 से 700 रुपए है।

हर्ष सिंह राजपूत के इसी टैलेंट और योग्यता को इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा देखा सुना और सराहा गया और बिहार के बाल भवन किलकारी योजना के संचालक के द्वारा शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की नजर में आए और हर्ष सिंह राजपूत की इसी योग्यता और टैलेंट को देखते हुए उन्हें इसरो में इंटरशिप के लिए भेजा गया।

मजबूत इरादे सफलता की कुंजी

हर्षित सिंह राजपूत की कहानी को ऊपर आप सभी के द्वारा ध्यान से पढ़ा गया और हम इनके जीवन को देखते हुए यह कहावत को सफल मानते हैं कि इरादे यदि मजबूत हो, तो हम कभी भी हार नहीं सकते और हमें सफलता अवश्य मिलेगी।

हर्ष सिंह राजपूत एक गरीब परिस्थिति में होते हुए भी अपनी योग्यता और टैलेंट के भरोसे उन्होंने भारत का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया उनके पिता शंभू सिंह राजपूत मात्र एक रिक्शा चालक है जोकि अपने परिवार की जिम्मेदारी निष्ठा पूर्वक निभा रहे हैं।

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