साइकिल पंचर बनाने वाले मजदूर के बेटा जितेंद्र ने NEET परीक्षा में लहराया परचम

कहते हैं अगर आपकी मेहनत कड़ी, दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प पक्का से पूर्ण हो तो कामयाबी जरूर आपके कदम चूमेगी। ऐसे मजबूत इरादों के साथ सपने पूरा करने वालों के लिए धन और दौलत की कमी भी कुछ नहीं कर पाती हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बाड़मेर जिला के जितेंद्र कुमार ने जितेंद्र के पिता पनाराम साइकिल पंचर की दुकान चलाते हैं और जितेंद्र ने इस मजबूर प्रिस्थिति में भी पढ़ कर NEET परीक्षा में अपना परचम लहराया है।

जितेंद्र के पिता साइकिल पंचर की दुकान चलाते हैं

दरअसल जितेंद्र ने अपनी मेहनत और लगन से इस बार NEET परीक्षा पास किया है वह एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके लिए महंगी कोचिंग का फीस जमा कर पाना मुश्किल था जिसके बाबजूद भी जितेंद्र ने अपनी कड़ी मेहनत से देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक NEET परीक्षा में सफलता प्राप्त कर यह दिखला दिया की सफलता के लिए महंगी कोचिंग संस्थान की जरूरत नहीं होती बल्कि कड़ी मेहनत और ईमानदारी की जरूरत होती है।

जितेंद्र कुमार बाड़मेर जिला के एक छोटे से गांव सिवाना के जीनगर मोहल्ला के रहने वाले हैं उनके पिता पानाराम कस्बे के ही गांधी चौक के पास साइकिल पंचर की दुकान चलाते हैं। जहा से उन्हें दिन में बामुश्किल 300 से 400 रुपये की आमदनी होती है. इसी आमदनी से घर के पांच सदस्यों का पेट पालते हैं, लेकिन घर के विकट हालातों में बिना किसी कोचिंग के बेटे जितेंद्र कुमार ने नीट की परीक्षा पास की है.

मां का संघर्ष भी नहीं कम-

जितेंद्र की मां फाउ देवी भी घर पर कशीदाकारी कर परिवार चलाने में हाथ बंटाती हैं. हालांकि जितेंद्र के पिता पनाराम को इस बात का मलाल है कि वह अपने बच्चे को महंगे कोचिंग सेंटर नहीं भेज पाए।

लेकिन खुशी है कि इसके बावजूद उनके बेटे ने सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं. वहीं, जितेंद्र की मेहनत के बाद अब उसके अंकों के आधार पर सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलेगा, जहां वह छोटे से कस्बे में संजोए अपने बड़े सपने को हकीकत का रूप देगा.

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