सुशांत राजपुत के नाम एक पत्र, जन्मदिन मुबारक हो मेरे दोस्त, तुम्हारी मौ’त को लोग भूल चुके हैं

प्रिय सुशांत, आज तुम्हारे जन्मदिन पर यह ख़त लिख रहा हूं। 14 जून 2020 को तुमने आत्महत्या की और तब से चीज़ें बहुत बदल गईं हैं। तुम्हारी मौत दुनिया के लिए जो भी हो, मेरे लिए हमेशा एक रहस्य रहेगी। आत्मा सच को महसूस करने में सक्षम होती है। मेरी आत्मा तक यह संकेत पहुंच रहे हैं कि तुम अपने अंतिम समय में दुःखी, निराश, हताश थे। तुम्हें यह दुनिया जीने योग्य नहीं लग रही थी। इसी एहसास के साथ तुम दुनिया से चले गए। तुम्हारा दुनिया से चले जाना, तुम्हारी इच्छा थी या कोई साज़िश, इस पर देशभर में बहस, छानबीन हो चुकी है। इसी लिए आज इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। अब सत्य यही है कि तुम नहीं हो और हम तुम्हारी गैर मौजूदगी में, आज तुम्हारे जन्मदिन के मौके पर, तुम्हें याद कर रहे हैं।

जब तुम जीवित थे, तब मैं तुम्हारे अभिनय का मुरीद था। फ़िल्म एमएस धोनी और केदारनाथ देखकर मुझे तुम्हारे भीतर के मासूम और जुझारू इंसान, अभिनेता के दर्शन हुए थे। मैं तुमको सिर्फ़ तुम्हारे अभिनय से जानता था। तुम कभी मेरे फेवरेट नहीं थे। इसी लिए भी मैंने कभी तुम्हारे बारे में अधिक जानने की कोशिश नहीं की। मगर तुम्हारी असमय मौत ने तुम्हारे प्रति दिलचस्पी पैदा कर दी। मुझे तुम्हारे बचपन, तुम्हारी मां से तुम्हारे रिश्ते, साइंस और अंतरिक्ष से तुम्हारे लगाव के बारे में मालूम हुआ। फिर जब तुम्हारी अंतिम फ़िल्म ” दिल बेचारा ” देखी तो आंख नम हो गई। यह कहना ग़लत न होगा कि तुम जाने के बाद ज़्यादा करीब हो गए।

तुम्हारी ज़िन्दगी से मैंने कुछ नहीं सीखा। या कहूं कि जीवित रहने हुए मुझे बहुत अधिक तुमने आकर्षित नहीं किया। मगर तुम्हारी मौत ने मुझे कई सबक दिए हैं। ऐसे सबक जो मुझे ज़िन्दगी भर याद रहेंगे। जो मेरे जीने के तरीक़े को बदल देंगे। मुझे उम्मीद है कि ऐसा कई करोड़ भारतीय लोगों के साथ भी हुआ होगा। तुम्हारी मौत ने कई लोगों को फिर से जीवन, समाज, शोहरत के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया।

तुम्हारी मौत में लोगों ने अवसर तलाशे। तुम्हारी मौत एक तमाशा साबित हुई। समाज गिद्ध बनकर टूट पड़ा। गिद्ध जानते थे भावुकता का फ़ायदा उठाना। तुम्हारी मौत का भरपूर फ़ायदा उठाया गया। तुम्हारी मौत ने लोगों को सदमा दिया, झकझोर दिया। एक आदमी दिन रात मेहनत करता है और नाम, इज़्ज़त, पैसा, संसाधन, बैंक बैलेंस बनाने में लगा रहता है। एक आदमी की जो ख्वाहिश होती है, वह सब तुम पा चुके थे। फिर भी तुमने मौत को चुन लिया। यानी जीवन व्यर्थ लगा तुमको। यानी ये नाम, दौलत, शोहरत की दौड़ सिर्फ़ धोखा है। तुम जैसे प्रसिद्ध व्यक्ति की मौत इतनी दुखद हुई और फिर उसका तमाशा बना, इस बात ने भी समाज को लेकर कई सवाल पैदा किए।
टीवी न्यूज़ चैनल ने टीआरपी के लिए तुम्हारे जीवन, तुम्हारे रिश्तों की धज्जियां उड़ाई। महीनों तक टीवी न्यूज़ डिबेट में तुम्हारी संदिग्ध मौत छाई रही। लोगों के न्यूज़ चैनल हिट हो गए तुम्हारी मौत से।

फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम पर लोगों ने लोकप्रियता हासिल करने के लिए तुम्हारे ऊपर कंटेंट बनाया। तुमको एक एजेंडे की तरह इस्तेमाल किया। वीडियो बनाए। लेख लिखे।रिया चक्रवर्ती को रण्डी की उपाधि दी। राजनीति चमकाने और चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दलों ने तुम्हारी मौत की नुमाइश लगाई। तुम्हें न्याय दिलाने का स्वांग रचा।

आज राजनीतिक दल चुनाव जीत चुका है, न्यूज़ चैनल हिट हो गया है, सोशल मीडिया पर लोग लोकप्रिय हो चुके हैं। तुम्हारी मौत को लोग भूल चुके हैं। तुमको न्याय दिलाने की बात अब गुज़रे ज़माने की बात हो चुकी है। आज भी अगर तुम्हारा जन्मदिन न होता तो कोई तुमको नहीं याद करता। शायद मैं भी यह खत नहीं लिख रहा होता।
यह बातें दिखाती हैं कि हम कैसे हैं और यह समाज कैसा है। जितने लोगों ने टीवी डिबेट चलाई, वीडियो बनाए, आंदोलन किए, रैलियों में तुम्हारा नाम लिया, वह तुम्हारी मौत से सिर्फ प्रसिद्धि पाना चाहते थे। यह कितनी बेहूदा बात है। मगर यही हमारा सच है। तुम्हारी मौत का तमाशा बताता है कि यह समाज कितना नंगा, वहशी है। और हम ज़िन्दगी भर इस समाज की परवाह करते रहते हैं। समाज से डरते रहते हैं। समाज में छवि बनाने, समाज को मक्खन लगाने की कोशिश करते हुए मर जाते हैं। तुम्हारी मौत के बाद हुआ तमाशा समाज से मोहभंग करने का काम करता है।

तुम्हारी मौत के बाद एक बात सामने आई कि तुम नशे की गिरफ्त में थे। इस बात को लेकर लोगों के तुम्हारे प्रति भाव बदल गए। अब उन्हें तुम्हारी मौत का शोक करना, तुम्हारे लिए आंसू बहाना जायज़ नहीं लगा। तुम अब अपराधी थे। विलेन थे। लोगों का यह मत था कि नशे की गिरफ्त में आ चुके एक अभिनेता की रहस्य भरी मौत पर समाज को ध्यान नहीं देना चाहिए। यह इंसान इसी लायक था।

मुझे इस बात ने हैरान नहीं किया। जो समाज स्वार्थ के कारण किसी के लिए न्याय मांगता है, उसका यही रवैया होता है। मैं अपनी बात कहूं तो मुझे तुम्हारे लिए दुःख है। तुम नशा करते थे या नहीं करते थे, यह मेरे लिए सूक्ष्म बात है। मुझे इससे बहुत फर्क नहीं पड़ता। मैंने तुमको हमेशा दयालु, प्रेमी, करुणा से भरे इंसान के रूप में देखा था। तुम बच्चों, बुजुर्गों, स्त्रियों से अच्छा व्यवहार करते थे। तुम अपने समाज, अपने राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार थे। तुमने अपने कर्मों से कभी किसी का अहित नहीं किया था। मेरे लिए यही महत्वपूर्ण था। तुम नशा करते हो या नहीं करते हो, इस बिनाह पर मैं तुमको जज नहीं करूंगा। लेकिन यह समाज इसी बिनाह पर तुम्हारी सब अच्छाई को भुला देना। या कहूं उसने भुला दिया है।

मैं यह तो नहीं जानता कि वह क्या वजह रही होगी जो तुमने आत्म हत्या की। मैं तुम्हारी रहस्य भरी मौत के पीछे के दुःख से भी अनजान हूं। मगर मैं यह ज़रूर महसूस कर रहा हूं कि आख़िर क्यों कोई आत्म हत्या करता होगा। क्यों कोई नशा करता होगा। समाज, परिवार और रिश्ते किस तरह इंसान का दम घोट देते हैं, यह मैं महसूस कर रहा हूं।
सुशांत, मैं खुद अपने जीवन में ऐसे दौर से गुज़र रहा हूं जहां मेरा समाज, परिवार, रिश्तों से मोह भंग हो गया है। मेरी आस्था ख़तम हो गई है। मैं बहुत दुःखी हूं। मैं बहुत पीड़ा में हूं। मुझे भी आत्म हत्या के विचार आते हैं। मुझे भी जीवन व्यर्थ लगता है। मुझे भी अपना हुनर, यह प्रेम, सम्मान निरर्थक लगता है। मैं भी कुछ समय तक शराब को सहारा मानकर चलता रहा हूं।

आज अगर मेरे जीवन में आध्यात्म, सेवा नहीं होती तो यकीन मानो मैं बर्बाद हो गया होता। मैं यक़ीनन आत्म हत्या कर चुका होता। सेवा भाव, भक्ति भाव ही मुझे इस कठिन समय में बचाए हुए है। मेरा अनुभव यही है कि अगर हम समाज, परिवार, रिश्तों से एक प्रतिशत भी कुछ पाने की उम्मीद रखेंगे तो दुःख ही मिलेगा और हम आत्म हत्या की तरफ़ बढ़ते जाएंगे। जीना है तो यह भूलना होगा कि किसी से हमें कुछ मिलेगा। जितना दे सको, देते जाओ। और जीवन जिये जाओ। मिलने की इच्छा सिर्फ़ भ्रम है।
सुशांत, तुम्हारे साथ जो हुआ, वह तुम्हारे कर्म थे। तुम इस दुनिया में आए, यही कर्मों का फल था। दुनिया, समाज, रिश्ते इनमें भोगना पड़ता ही है। तुमने भोगा और तुम टूट गए। तुम आज जिस भी दुनिया में हो, वहां तुमको सुकून मिले। यही प्रार्थना करता हूं। जब तक मैं जीवित हूं, तब तक तुम हर साल 21 जनवरी, 14 जून को ज़रूर याद आओगे। और याद आओगे तुम्हारी फिल्मों और गीतों के हवाले से। तुमको याद करते हुए जीवन के सत्य आंखों के आगे तैरने लगेंगे। तुम जगाने का काम करोगे सुशांत ??

-आशिक़ जी (FB Timeline)

Via- Daily bihar

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