पटना मेट्रो का सफर बहुत जल्द, निर्माण के लिए मंजूर किए 500 करोड़ रुपए

पटना मेट्रो के शुरू होने में अड़चनों को लगातार दूर किया जा रहा है। इसी क्रम में अब मेट्रो डिपो के लिए जमीन अधिग्रहण की समस्या हल हो रही है। अगले महीने से भू-मालिकों में जमीन अधिग्रहण का मुआवजा बांटा जाएगा। इसके लिए विभाग ने 500 करोड़ रुपए मंजूर कर दिए हैं। इसके साथ इस फंड को खर्च करने की अनुमति भी दे दी गई है। नगर विकास एवं आवास विभाग ने पटना मेट्रो का डिपो बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए 500 करोड़ रुपए जारी कर दिया है। यह रकम बिहार शहरी विकास अभिकरण की ओर से पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड को दिया जाएगा। हाल में सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अनुपूरक बजट पेश कर पटना मेट्रो के निर्माण के लिए 1000 करोड़ राशि खर्च करने का प्रावधान किया था।

बता दें कि पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने जिला प्रशासन को आईएसबीटी के सामने मेट्रो के डिपो बनाने के लिए 76.64 एकड़ जमीन के अधिग्रहण का प्रस्ताव दिया है। इसको लेकर जिला प्रशासन 23 दिसंबर तक किसानों से दावा-आपत्ति ले रहा है। अगले माह से किसानों के बीच मुआवजा की राशि का वितरण शुरू किया जाएगा। मुआवजे की राशि का वितरण होने के बाद डिपो के निर्माण को लेकर टेंडर निकाला जाएगा। फिर टेंडर फाइनल होते ही कार्यकारी एजेंसी को वर्क ऑर्डर दे दिया जाएगा। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो नए साल में इसके निर्माण से जुड़ी सारी प्रक्रिया पूरी कर साल के मध्य तक निर्माण पूरा भी करने का लक्ष्य है।

जमीन अधिग्रहण में 726 करोड़ होंगे खर्च
राज्य सरकार का अनुमान है कि पटना मेट्रो के लिए जमीन अधिग्रहण में करीब 726 करोड़ रुपए खर्च हो जाएंगे। मेट्रो के लिए भू-अर्जन करने को राज्य सरकार अपने स्तर से राशि वहन करती है। भू-मालिकों में मुआवजे की राशि वितरित होने के साथ ही पटना मेट्रो को 76 एकड़ जमीन हस्तांतरित हो जाएगी। इतना रकमा हस्तांतरित हो जाने के बाद पटना मेट्रो के पास जमीन के रूप में यह खुद की परिसंपत्ति हो जाएगी। इसके बाद पटना मेट्रो उस जमीन के आधार पर विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से लोन लेगा। अब मेट्रो निर्माण के लिए लोन मिलने का रास्ता साफ होता दिखाई दे रहा है। पटना मेट्रो के स्टेशन बनाने के लिए जमीन का भी हस्तांतरण किया जाना है। इसको लेकर विभाग ने कई सरकारी एवं निजी जमीनों को चिह्नित भी कर लिया है। इनमें से कई जमीन संस्थाओं के पास है, जिनके साथ बैठक कर अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जा रहा है।

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