बारिश और नदी के पानी ने डूबा दिया सारा फ़सल कौन सुनेगा किसान और जनता का दुःख और दर्द…

समस्तीपुर (दलसिंहसराय):- यह दृश्य समस्तीपुर ज़िला अंतर्गत दलसिंहसराय-विद्यापतिनगर सड़क मार्ग के पिपरपांति चौक से मऊ-शेरपुर जाने वाली सड़क की है। करीब एक माह से इस सड़क मार्ग पर वाहनों का चलना बंद है। पिछले कई महीनों से हो रही वर्षा के कारण पूरा इलाका (लगभग 18 वर्ग किलोमीटर) जो-‘गोयला चौड़’ के नाम से जाना जाता है-जलजमाव से पूरी तरह डूबा हुआ है।

फलतः केवटा,कागपुर,यमुनाटांड़ व मधेपुर विद्यापतिनगर ब्लॉक के मिर्जापुर,मऊ व शेरपुर बेगूसराय ज़िला के बछवाड़ा ब्लॉक के रसीदपुर,चिरंजीवीपुर,फतेहा आदि गांवों एवं पंचायतों के लगभग 50 हजार से अधिक किसान और उनपर आश्रित परिवार त्राहिमाम की स्थिति में है। हजारों एकड़ में लगे धान,मक्का,जनेरा,धईचा व विभिन्न तरह की सब्जियों के अलावे पपीता की फसल चौपट हो चुकि है।

इस गोयला चौड़ से जल निकासी के लिए बछवाड़ा ब्लॉक के चिरंजीवीपुर पंचायत के सुल्ताना डीह के समीप लगभग 60 वर्ष पूर्व लाखों रुपये की लागत से दो सलुईस गेट का निर्माण कराया गया था। इसका उद्देश्य था कि बलान नदी के पानी को चौड़ में प्रवेश को नियंत्रित किया जा सके। इस गेट से थोड़ी दूर पर ही बलान नदी बहती है। बलान का जलस्तर बढ़ने पर नदी का पानी चौड़ में प्रवेश कर जाता था। आवश्यक देखरेख के अभाव में यह गेट बेकाम हो गया। वर्ष 2011-12 में बगल में ही लाखों रुपये की लागत से दो दरवाजों वाला दूसरा सलुईस गेट बनाया गया। प्राकलन के मुताबिक काम अबतक अधूरा है। गेट निर्माण के बाद भी समस्या का निदान नहीं हो पा रहा है।

जिस दिन मैं वहां पहुंचा था उस दिन गेट बंद रहने के बाद भी बलान का पानी गोयला चौड़ में बड़ी तेजी से जा रहा था। पता चला की गेट में लगाया जाने वाला रबर का बैंड पिछले वर्ष ही बेकार हो गया था। उसकी मरम्मत नहीं हो पाई। किसानों का आरोप है कि सुल्ताना डीह का यह सलुईस गेट संबंधित विभाग का ‘कामधेनु गाय’ बनकर रह गया है।

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इस स्थल के मुआयना करने तथा आसपास के किसानों से मिलने भर से पता चल जाता है कि मरम्मत के नाम पर ‘गाय कितना दूध’ दे रही है ?
समस्या इतनी ही नहीं है। किसानों का दर्द और भी है। बलान नदी का पानी इस स्थल से लगभग 45 किमी दूर बेगूसराय ज़िला के ‘नवला भीठ’ में गंडक नदी से मिलती है। गंडक नदी आगे जाकर गंगा नदी में मिलती है। नवला भीठ में 32 सलुईस गेट बने है।

बताया जाता है कि यहां भी लूट का खेल चलता है। गंडक का जलस्तर नीचे हो जाने पर भी इसके पूरे गेट नहीं खोले जाते है। कुछ ही गेट खोला जाता है वह भी पूरा नहीं। यहां बड़े पैमाने पर प्रतिदिन हजारों की मछलियां पकड़ी जाती है। ‘खेल’ यहां भी होता है। मछलियों की शिकारमाही के कारण बलान का जलस्तर लंबे समय तक बढ़ा रहता है। बलान का जलस्तर बढ़े रहने से गोयला चौड़ के पानी का प्रवाह रुक जाता है। किसानों का मानना है कि गंडक नदी के जलस्तर के नीचे हो जाने पर यदि नवला भीठ के सारे दरवाजे समय पर खोल दिये जायें तो दलसिंहसराय ब्लॉक के ही नहीं बल्कि सरायरंजन व ताजपुर ब्लॉक के किसान जलजमाव की समस्या से उबर सकते है।

वर्तमान समय मे किसानों की माली हालत अतिवृष्टी के कारण काफी दयनीय हो गई है। जलजमाव के कारण अब खरीफ फसलों की बुआई भी संदिग्ध प्रतीत हो रही है। किसानों की समस्या प्रकृति प्रदत्त तो है ही,लेकिन सरकार और उनके नुमाईंदे भी कम दोषी नहीं है। पता नही कब हमारे किसान भाइयों के दिन बहुरेंगे।


अपने क्षेत्र के कई किसानों के आग्रह पर मैं सुल्ताना डीह सलुईस गेट को देखने गया था। वहां के कई किसानों से मेरा साक्षात्कार हुआ। सलुईस गेट की देखरेख के लिए कोई अधिकृत व्यक्ति नियुक्त नहीं है। फिलहाल चिरंजीवीपुर के श्री अजय सिंह देखरेख करते है। इससे पूर्व उनके दादाजी स्व.गोविंद सिंह के पास गेट की चाभी हुआ करती थी। गेट तक जाने के लिए सड़क भी नहीं है। लगभग 5 सौ फीट कीचड़युक्त पगडंडियों के सहारे ही यहां पहुंचा जा सकता है। किसानों ने समस्तीपुर और बेगूसराय जिला प्रशासन से अविलंब समस्या के निराकरण की दिशा में सार्थक पहल करने का आग्रह किया है।

प्रेषक:-डॉ लोकेश शरण
मो.7563882729

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