द‍िहाड़ी मजदूर का भाई बना स्‍टेट टॉपर, कहा आज पापा होते तो बहुत खुश होते

मन में कुछ कर गुजरने की चाह हो तो बड़ी-बड़ी से परेशानी भी बौनी हो जाती है। इसी को साब‍ित कर द‍िखाय बोकारो द‍िहाड़ी मजदूर के भाई व‍िवेक दत्‍ता ने। झारखंड अधिविद्य परिषद् मैट्रिक की परीक्षा में विवेक अपने कठिन परिश्रम व लगन से राज्य में अव्वल रहा। अपग्रेडेड हाई स्कूल ब्राह्मणद्वारिका के विद्यार्थी विवेक ने इस परीक्षा में 98.60 फीसद अंक हासिल किया।

इंजीनियर बन करना चाहता है देश की सेवा

व‍िवेक ने बताया क‍ि वह आठ से दस घंटे प्रत्येक दिन अध्ययन करता था। व‍िवेक ने गणि‍त व ह‍िंंदी में 100-100 अंक प्राप्‍त क‍िया है। उसका पसंदीदा व‍िषय भी गण‍ित ही है। वह इंजीनियर बन कर देश की सेवा करना चाहता है। इसलिए कठिन परिश्रम कर रहा है। लॉकडाउन में जहां बच्‍चों की पढ़ाई प्रभाव‍ित हो रही थी। छात्र कई तरह की परेशान‍ियों से जुझ रहे थे, ऐसे में व‍िवेक ने आपदा को अवसर मेें बदल आज बोकारो ही नहीं बल्‍कि‍ पुरे राज्‍य के बच्‍चों के ल‍िए प्रेरणास्‍त्रोत बन गया है। व‍िवेक के अंक इस प्रकार है। इसने हिंदी में 100, अंग्रेजी में 98, गणित में 100, संस्कृत में 97, सामाजिक विज्ञान में 98 व विज्ञान में 88 अंक हासिल किया।

भाई ने दिया पूरा साथ

कुम्हरी गांव निवासी विवेक के पिता आशुतोष दत्ता दिहाड़ी मजदूरी करते थे। माता मीना इेवी गृहिणी हैं। पिता की 2018 में मृत्यु हो गई। इसके बाद भाई सूरज दत्ता पर स्वजनों के परवरिश की जिम्मेवारी आ गई। मजदूरी करने के बाद किसी तरह स्वजनों का पालन-पोषण कर रहे हैं। छोटे भाई विवेक को बेहतर शिक्षा देना चाहते थे।

आर्थिक स्थिति कमजोर रहने के कारण इसका दाखिला निजी विद्यालय में नहीं करा सके। इसलिए अपग्रेडेड हाई स्कूल ब्राह्मणद्वारिका में इसका नामांकन कराया। विवेक ने कहा कि बड़े भाई का कष्ट देख शिक्षा के जरिए घर की माली हालात सुधारना चाहता है। इसलिए कठिन परिश्रम कर रहा है।

कर्ज लेकर भाई को खरीद कर दिया था फोन

पैसे की तंगी के बावजूद भी भाई ने कर्ज लेकर एंड्रायड मोबाइल खरीदा, ताकि व‍िवेक की पढ़ाई बाध‍ित नहीं हो, ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण कर सके। गांव में बिजली की समस्या है। इसलिए कभी-कभी लालटेन की रौशनी में पढ़ाई करनी पड़ती थी। उसने अपनी सफलता का श्रेय व‍िवेक ने माता, बड़े भाई सूरज व शिक्षकों को दिया है। व‍िवेक ने इसे प‍िता को समर्प‍ित क‍िया। कहा क‍ि आज पापा होते तो काफी खुश होते। कहा कि परीक्षा होने से अच्छा होता, क्योंकि बेहतर तरीके से पढ़ाई किया था। ऐसे वह अपने अंक से संतुष्ट है। प‍िता को समर्प‍ित क‍िया।

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