पिता ने खेत बेचकर पढ़ाया, सबसे कम उम्र में पायलट बनकर बेटी ने रचा इतिहास

आज भी कई घरों में बेटियों को बोझ समझा जाता है। उन्हें पढ़ने का अधिकार नहीं दिया जाता। दिया भी जाता है तो सिर्फ इसलिये ताकि शादी में कोई दिक्कत न आये। यही वजह है कि बीए, बीएससी प्रोग्राम में तो बेटियों की भागीदारी तो है लेकिन इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में उनकी भागीदारी लड़कों के अपेक्षा काफी कम है। लेकिन अगर उन्हें मौका दिया जाये तो वो सब कुछ कर सकती हैं जो लड़के कर सकते हैं।

और इस बात को सच कर दिखाया है गुजरात के सूरत की रहने वाली बेटी मैत्री पटेल ने। मैत्री महज 19 साल की उम्र में अमेरिका से ट्रेनिंग लेकर पायलट बन गईं हैं और अपने माता पिता का मान बढ़ाया है। इतनी कम उम्र में बेटी को आसमान में उड़ते देख माता-पिता के खुशी का ठिकाना नहीं है। मैत्री ने अपनी उड़ानों में तो रंग भरे ही अपने माता-पिता के सपनों को भी पूरा कर दिया है।


बैंक से लोन नहीं मिला तो पिता ने बेच दी पुश्तैनी खेत

एक ऐसा सपना जिसके लिये पिता ने अपना सबकुछ दावं पर लगा दिया। बेटी को पढ़ाने के लिये पहले पिता ने कई बैंकों के चक्कर काटे। लेकिन कहीं से भी उन्हें लोन नहीं मिला। अंत में किसान पिता ने बेटी को पढ़ाने के लिये अपनी खेत बेच दी। एक किसान के लिये अपना खेत बेचना कितनी दुख की बात होती है यह सिर्फ एक किसान ही समझ सकता है। लेकिन बेटी ने पायलट बनकर पिता के छाती को चैड़ा कर दिया। इकलौती बेटी अपने सपनों में उड़ान भर सके इसलिए पिता कांति भाई पटेल और मां रेखा पटेल को अपना खेत बेचना पड़ा।
बचपन में ही देखा था सपना

जिस उम्र में अधिकांश बच्चे यह निर्णय नहीं ले पाते कि उनका करियर गोल क्या है उस उम्र में मैत्री ने निर्णय कर लिया था कि उन्हें पायलट बनाना है। मैत्री की उम्र महज 8 साल की थी जब उन्होंने पहली बार पायलट बनने का सपना देखा था। जो 19 की उम्र में आकर पूरा हुआ। अपने इस सपने को पूरा करने के साथ ही मैत्री ने इतिहास रच दिया है। वो देश की सबसे कम उम्र की पायलट बन गईं हैं।

12वीं पढ़ने के बाद पायलट बनने के लिये मैत्री अमेरिका चली गईं। और महज 11 महीने की ट्रेनिंग के बाद कामर्शियल पायलट का लाइसेंस हासिल कर लिया। आम तौर पर इस ट्रेनिंग को पूरा करने में 18 महीने लगते हैं। मैत्री अब कैप्टन बनना चाहती हैं। हालांकि भारत मे विमान उड़ाने के लिये उन्हें यहां के नियमों के मुताबिक लाइसेंस लेना पड़ेगा।

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