तेजस्वी यादव बनने वाले हैं नए मुख्यमंत्री,जानिए कौन बनाएगा?

पटना: जीतन राम मांझी कि दोनों हाथ में आजकल लड्डू है। सरकार चला रहे हैं भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के साथ लेकिन बीच-बीच में अपना महत्व बताने के लिए थोड़ा सस्पेंस भी क्रिएट करते हैं। कभी-कभी इतना आगे निकल जाते हैं कि लगता है मानो आने वाले 2 दिन में भारतीय जनता पार्टी और नीतीश कुमार का साथ छोड़ने वाले हैं लेकिन अगले ही पल अपने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी का तारीफ भी कर देते हैं। पिछले कुछ समय से जीतन राम मांझी की पूछ बिहार की राजनीति में बढ़ गयी है ओर इसका प्रमाण है कि कांग्रेस पार्टी से लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के तरफ से उन्हें लुभाने का प्रयास किया जा रहा है। किस तरह कांग्रेस पार्टी के नेता खुले तौर पर न्योता दे रहे हैं तो वहीं राजद के तरफ से निमंत्रण पत्र भेजा जा रहा उसे जानना आपके लिए भी ज़रूरी है।

राजनीति में कोई छोटा और बड़ा नहीं होता बल्कि सब कुछ समय होता है। अगर समय विपरीत है तो सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद विपक्ष में बैठना पड़ता है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो हमारे बिहार में राष्ट्रीय जनता दल है और अगर समय ठीक है तो आधा दर्जन सीट ना जीतने वाली पार्टी भी मुख्य भूमिका में आ जाती है जिसे आज मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी जैसे नेता निभा रहे हैं। जीतन राम मांझी भली-भांति जानते हैं कि इस बार बिहार में एनडीए की जो सरकार चल रही है उसमें उनकी कितनी बड़ी अहमियत है। शायद इसलिए भी जीतन राम मांझी मौका तलाश कर अपने ही साथियों पर हमला बोल देते हैं। पिछले कुछ दिनों से जीतन राम मांझी ने जिस प्रकार के बयान दिए हैं उसे लेकर अब बिहार की राजनीति भी गरमाने लगी है। जीतन राम मांझी को लेकर विपक्ष के दल अपनी नजरें गड़ाए बैठे हैं। इधर जीतन राम मांझी ने राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के शादी की सालगिरह पर बधाई दिया तो उधर राजद के तरफ से नजरें और अधिक गड़ा दी गई।

अब इस मौके को कांग्रेस पार्टी भी चूकना नहीं चाहती है। कांग्रेस पार्टी ने राजद से एक कदम आगे जाकर जीतन राम मांझी को पुराना कांग्रेसी बताया है। कांग्रेस पार्टी के एमलसी प्रेमचंद मिश्रा ने जीतन राम मांझी को लेकर कहा कि वे आज भले ही एनडीए के साथ है लेकिन पुराने कांग्रेसी रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि वे पहले मंत्री भी थे। आगे बात करते हुए प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि आज एनडीए में वे खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सब कुछ देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि अब एनडीए से उनका मोहभंग हो चुका है और आने वाले दिनों में तो वे एनडीए का साथ भी छोड़ देंगे। अगर ऐसी स्थिति में वे कांग्रेस पार्टी में आते है तो उनका स्वागत है।

इधर राष्ट्रीय जनता दल के तरफ से कहा जा रहा है कि एनडीए के अंदर जीतन राम मांझी को कोई तवज्जो नहीं दे रहा है। राजद का कहना है कि वरिष्ठ नेता होने के बावजूद सरकार के अंदर किसी भी प्रकार का फैसला लेने के पहले उनकी राय तक नहीं ली जा रही है। राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने यह भी कहा कि राजनीति में कोई किसी का परमानेंट दुश्मन नहीं होता। हमेशा राजनीति के अंदर संभावनाओं का द्वार खुला रहता है। पिछले कुछ समय से जीतन राम मांझी जिस प्रकार से अपनी ही सरकार पर सवाल उठा रहे हैं उसको लेकर राज्य में कई प्रकार की राजनीतिक चर्चा चल रही है। जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी की मुलाकात हुई तो इस बात का कयास लगाया गया कि क्या दोनों नेता मिलकर कोई अन्य विकल्प की तलाश कर रहे हैं। इधर जीतन राम मांझी ने जिस दिन लालू प्रसाद यादव को शादी की सालगिरह के मौके पर बधाई दिया उसी दिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई और इस बैठक को लेकर भी अब तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इसके पहले जीतन राम मांझी ने वैक्सीनेशन के बाद दिए जा रहे सर्टिफिकेट को लेकर सवाल पूछ था। जीतन राम मांझी ने प्रधानमंत्री के फोटो पर सवाल उठाया तो विपक्ष के दलों ने भी इसे हाथों हाथ ले लिया।

अगर राज्य में बहुमत के आंकड़े को देखे तो अगर मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी एनडीए से अलग होते हैं तो ऐसी स्थिति में निश्चित है कि सरकार गिर जाएगी। वहीं अगर महागठबंधन के पास इनका समर्थन जाता है और अगर ओवैसी की पार्टी के 5 विधायक भी महागठबंधन को अपना समर्थन देते हैं तो ऐसी स्थिति में महागठबंधन बहुमत को भी छू सकता है। फिलहाल राज्य में जीतन राम मांझी को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है।

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