बिहार में बहाल होंगे डेढ़ लाख से अधिक शिक्षक, विधान सभा में शिक्षा मंत्री का बड़ा बयान

PATNA : शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मंगलवार को बिहार विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार छठे और सातवें चरण के नियोजन को मिलाकर करीब डेढ़ लाख से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति करने जा रही है। प्रश्नोत्तरकाल के दौरान इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि हाल ही में 37335 शिक्षक पदों पर हुई माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के 12 विषयों के परिणाम आए हैं। करीब 25 हजार अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं। शेष 3 तीन विषयों के परिणाम आने हैं। इन शिक्षकों की बहाली छठे चरण की बहाली के बाद होगी।

श्री चौधरी ने कहा कि छठे चरण में प्राथमिक से लेकर प्लसटू तक के करीब सवा लाख शिक्षकों की बहाली होनी है। फिलहाल न्यायालय के आदेश से इसकी प्रक्रिया रोकी गयी है। विभाग ने कोर्ट से नियुक्ति की इजाजत मांगी है। इजाजत मिलते ही नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। अमरजीत कुशवाहा के एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि अन्य विभागों की तरह शिक्षा विभाग में भी प्रोन्नति पर रोक लगी हुई है। रोक समाप्त होते ही प्रधानाध्यापक के पदों पर प्रोन्नति दी जाएगी।

कोरोना काल में निजी स्कूलों द्वारा ली गयी फीस पर सरकार करेगी विचार


मंगलवार को विधानसभा में कोरोना काल में निजी स्कूलों द्वारा विद्यालय बंद होने के बावजूद फीस वसूलने का मामला उठा। भाई वीरेन्द्र ने कहा कि इससे अभिभावक परेशान हैं। कहा कि क्या सरकार ली गयी फीस वापस लौटाने का विचार रखती है। इसपर शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार देखेगी कि हमलोग इसपर क्या कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारा भी मानना है कि पढ़ाई नहीं हुई तो फीस नहीं लेना चाहिए, पर निजी स्कूल प्रबंधनों की दलील है कि ऑनलाइन पढ़ाई करायी गयी। कहा कि निजी विद्यालयों की शुल्क वृद्धि के लिए अधिनियम 2019 से प्रभावी है। लेकिन, निजी स्कूलों के आंतरिक संसाधन अपने हैं। उन्हें फीस माफ करने को निर्देशित करने का अधिकार फिलहाल हमारे पास नहीं है। बावजूद इसके हमलोग इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करेंगे।

भ्रम फैलाया जा रहा है कि उर्दू ऐच्छिक विषय

एआईएमआईएम के अमौर विधायक अख्तरुल ईमान ने प्रश्नोत्तरकाल में उर्दू भाषी छात्रों के लिए उर्दू को मैट्रिक के पाठ्यक्रम में अनिवार्य भाषा बनाने का मामला उठाया। जवाब में शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि उर्दू भाषी छात्रों के लिए उर्दू विषय अनिवार्य है। यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि उर्दू ऐच्छिक विषय है। उन्होंने कहा कि वस्तुस्थिति यह है कि राज्य में मैट्रिक की परीक्षा के पाठ्यक्रम में उर्दू विषय को अनिवार्य की श्रेणी में रखा गया है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

मैट्रिक परीक्षा के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम के तहत मातृभाषा के विषयों यथा हिन्दी, उर्दू, बंगला एवं मैथिली और द्वितीय भारतीय भाषा के विषयों यथा संस्कृत, हिन्दी, अरबी, परसियन एवं भोजपुरी की परीक्षा ली जाती है। इस व्यवस्था के अनुरूप बीएसईबी विगत कई वर्षों से मैट्रिक परीक्षा का आयोजन करती आ रही है और भविष्य में भी करेगी।

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