पटना:- ईशान किशान (Ishan Kishan) रातोंरात भारतीय क्रिकेट के सितारे बन चुके हैं. इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू मैच में रिकॉर्ड बनाने वाले ईशान जब मंगलवार को अपना दूसरा मैच खेलेंगे तो एक बार फिर से सभी की निगाहें उन पर होंगी. ऐसे में ईशान किशन के शुरुआती दिनों के बारे में बहुत कम लोगों को बारे में हर कोई जानना चाहता है. मसलन ईशान के पहले गुरु कौन हैं या उन्होंने कितनी उम्र में पहली बार बल्ला थामा. न्यूज 18 आपको बता रहा है ईशान किशन के जीवन के उन्हीं अनछुए पहलुओं के बारे में.
अमीकर दयाल वो शख्स हैं जिन्होंने सबसे पहले ईशान के हाथों में बल्ला पकड़ाया था. उस वक्त ईशान की उम्र महज 6 साल थी. इसी उम्र में ईशान अपने पिता के साथ पटना के मोइनुल हक स्टेडियम पहुंचे और सालों साल अमीकर दयाल के क्रिकेट अकेडमी में नेट प्रैक्टिस किया. शायद यह कहना गलत नहीं होगा कि ईशान ने अपने पहले कोच अमीकर दयाल से क्रिकेट का ककहरा सीखा. ईशान के कोच को आज बहुत फक्र महसूस हो रहा है कि उनके सानिध्य में क्रिकेट का गुर सीखने वाला उनका स्टूडेंट देश और बिहार का नाम रौशन कर रहा है. खुद भी क्रिकेटर रहे अमीकर दयाल का कहना है कि उन्हें तब और ज्यादा खुशी होगी जब T20 के बाद ईशान भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के हिस्सा बनेंगे.
ईशान लेफ्ट हैंडेड बैट्समैन हैं और सौभाग्य से अमीकर दयाल भी लेफ्ट हैंडेड ही रहे हैं. इसका ईशान को खूब फायदा पहुंचा. अमीकर दयाल बिहार क्रिकेट के बड़े नाम हैं, जिन्होंने बिहार की कई प्रतिभाओं को ईशान की ही तरह उभारा है. अमीकर बताते हैं कि ईशान ने करीब 17 सालों तक नेट में अपना पसीना बहाया है. सारे खिलाड़ियों के जाने के बाद भी ईशान अपनी कमियों को सुधारने के लिए घंटों नेट प्रैक्टिस करते रहते थे.
ईशान के प्रदर्शन से अमीकर दयाल के साथ उनके दोस्तों का भी सीना चौड़ा हो गया है. मोइनुल हक स्टेडियम में ईशान के साथ नेट प्रैक्टिस करने वाले साकेत और सचिन की खुशी का ठिकाना नहीं हैं. ईशान को नेट में तेज गेंद फेंकने वाले साकेत कहते हैं कि उन्हें गर्व है अपने ईशान पर जिसने अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर न सिर्फ बिहार, बल्कि अपने क्रिकेट अकेडमी का भी नाम रौशन किया है.
सचिन ईशान के सबसे अच्छे दोस्तों में से एक हैं जो नेट प्रैक्टिस के साथ-साथ निजी जिंदगी में भी ईशान के साथ वक्त बिताते रहे हैं. उन्होंने फोन करके ईशान को बधाई भी दी है. ईशान के दोस्त सचिन का कहना है कि आस्ट्रेलिया के विकेटकीपर और लेफ्ट हैंडेड बैट्समैन एडम गिलक्रिस्ट उनके आदर्श रहे हैं, जिन्हें टेलीविजन पर देखकर उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया. सचिन खुद भी रणजी ट्रॉफी खेल चुके हैं और अब उनका एक ही सपना है कि अपने दोस्त की ही तरह वो भी भारतीय क्रिकेट टीम का कभी हिस्सा बनें.
Input:- News 18