दो बार फेल होने के बाद भी हिमांशू ने नहीं मानी हार, IAS परीक्षा में टॉपर बन लहराया परचम

दिल्ली के हिमांशु गुप्ता ने साल 2019 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 27वीं रैंक के साथ टॉप किया. यह उनका तीसरा प्रयास था. पहले दो प्रयासों में हिमांशु पहली स्टेज यानी प्री परीक्षा भी पास नहीं कर पाए थे. तीसरे प्रयास के समय हिमांशु ने तय कर लिया था कि चाहे जो हो इस बार तो मेन्स लिखना ही है. इरादे के पक्के हिमांशु ने ऐसा करके भी दिखाया. तीसरे प्रयास में न केवल प्री बल्कि परीक्षा के तीनों स्टेज पास करते हुए हिमांशु ने टॉप किया. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में हिमांशु ने न केवल परीक्षा की तैयारी की स्ट्रेटजी शेयर की बल्कि पिछले दो प्रयासों की गलतियों के बारे में भी बात की. जानते हैं विस्तार से.

हिमांशु का बैकग्राउंड –

हिमांशु दिल्ली में जन्में और उनकी पढ़ाई-लिखाई भी यहीं हुई. उनके परिवार में माता-पिता के अलावा एक बड़ा भाई है. हिमांशु हमेशा से पढ़ाई में अच्छे थे और क्लास 12वीं के साथ ही कॉलेज में भी उनके बढ़िया अंक आए. उन्होंने दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की है. इसके बाद एक कंपनी में उन्होंने डेढ़ साल काम भी किया. कुछ कारणों से उन्होंने सिविल सेवा के क्षेत्र में जाने का मन बनाया और इस बाबत तैयारी शुरू कर दी.

पहला अटेम्पट उन्होंने जॉब में रहते हुए ही दिया जिसके लिए वे अच्छे से तैयारी नहीं कर पाए थे. दूसरे अटेम्पट के समय वे समझ चुके थे कि जॉब के साथ परीक्षा की तैयारी नहीं हो सकती. इस विचार के साथ उन्होंने नौकरी छोड़ दी और तैयारी में जुट गए.

दूसरे प्रयास की गलती –

हिमांशु कहते हैं कि दूसरे प्रयास के पहले उन्होंने कोचिंग भी ज्वॉइन कर ली थी और उपलब्ध गाइडेंस के बेसिस पर आगे बढ़ रहे थे. वे दिन-रात तैयारी कर रहे थे और जमकर टेस्ट सीरीज और बाकी एग्जाम दे रहे थे. इस समय उनकी गलती यह रही की वे मुख्य परीक्षा यानी यूपीएससी की प्री परीक्षा के पहले इतनी बुरी तरह एग्जॉस्ट हो चुके थे कि उन्होंने एग्जाम वाले दिन ही सबसे खराब प्रदर्शन किया. एग्जाम हॉल में वे अपना टेंपर खो बैठे और प्रश्न दर प्रश्न अटेम्पट करते चले गए. एंड में उन्हें अहसास हुआ कि कुछ ज्यादा ही प्रश्न कर लिए जिनके लिए वे श्योर भी नहीं थे. नतीजा यह हुआ कि फिर यहीं से बाहर हो गए.

आगे की तैयारी –

हिमांशु दो प्रयासों में भली प्रकार समझ चुके थे कि उनमें कहां कमी है. इस बार उन्होंने अपनी सभी कमियों पर काम किया और तय किया कि चाहे जो हो जाए इस बार गाड़ी आगे बढ़ानी ही है. हुआ भी यही और हिमांशु ने प्री परीक्षा पास कर ली. अब उन्होंने आगे की तैयारी पर फोकस बढ़ाया जो पहले ही शुरू हो चुकी थी. हिमांशु मानते हैं कि इस परीक्षा की तैयारी इंटीग्रेटेड होनी चाहिए. जब वे प्री परीक्षा के लिए पढ़ रहे थे तभी अगर कोई ऐसा विषय आता था जो मेन्स में भी पूछा जा सकता है तो वह उसे मेन्स के लिहाज से यानी विस्तार में उसी समय तैयार करते थे. यानी एक विषय पूरा पक्का हो जाने पर ही आगे बढ़ते थे.

सिलेबस और पिछले साल के प्रश्न-पत्र –

हिमांशु आगे बताते हैं कि इस परीक्षा के सिलेबस को इतना महत्वपूर्ण मानें कि इसे रट लेंगे तो ही लाभ होगा. आपको अपनी फिंगर की टिप पर पता होना चाहिए कि किस विषय से क्या आएगा. ठीक इसी प्रकार सिलेबस देखने के बाद पिछले साल के प्रश्न-पत्र देखें. इससे आपको अंदाजा होगा कि उसी सिलेबस से प्रश्न बनते कैसे हैं. दोनों ही चीजों को परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण मानते हुए तैयारी करें और परीक्षा की रूप-रेखा समझने के बाद आगे बढ़ें.

इस बीच अगर आपको किसी विषय में प्रोफेशनल गाइडेंस की जरूरत महसूस होती है तो कोचिंग ले लें या इंटरनेट पर इतने सारे ग्रुप्स हैं जो खास इस परीक्षा के लिए तैयारी करवाते हैं, उनसे जुड़कर लाभ उठाएं.

हिमांशु की सलाह –

अंत में हिमांशु यही कहते हैं कि इस परीक्षा के लिए मोटिवेशन बहुत जरूरी है. खुद को हर दम और हर स्थिति में अंदर से मोटिवेटेड रखें. कोई परेशानी भी आए तो उससे घबराएं नहीं और तैयारी जारी रखें. वे एक बात और कहते हैं कि इस परीक्षा में उन्होंने इस फिलॉसफी के साथ कदम बढ़ाए थे कि कर्म कर फल की इच्छा मत कर. वे बस अपना काम यानी सही दिशा में प्रयास कर रहे थे बिना यह सोचे कि ये प्रयास उन्हें मंजिल तक पहुंचाएंगे या नहीं. यही सलाह वे दूसरों को भी देते हैं कि पूरी ईमानदारी से तैयारी करें, मेहनत का फल एक दिन जरूर मिलता है. लेकिन

इनपुट:- डेली बिहार

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