सिंघु बॉर्डर पर कोरोना वायरस का खतरा बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। प्रदर्शनकारी किसानों में सर्दी, खांसी और बुखार के मामले बढ़ रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा तादाद बुजुर्ग किसानों की नजर आ रही है। मौके पर मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों की टीम किसानों को दवाई उपलब्ध भी करवाने में जुटी हुई है। यहां मौजूद डॉक्टरों का कहना कि लोग मास्क का उपयोग नहीं कर रहे हैं। बीमारी को बहुत हल्के में ले रहे हैं, ऐसे में कोरोना का खतरा बढ़ सकता है।
हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि ‘बीते कुछ दिनों से यहां सर्दी खांसी, बुखार और गले के खराब होने के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। सरकार की तरफ से 10 मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं। सभी जगह केवल इसी तरह के केस आ रहे हैं। हमें रोज ज्यादा मात्रा में सर्दी, खांसी और बुखार की दवाइयां मंगवानी पड़ रही है। बुजुर्गों की संख्या इसमें सबसे ज्यादा है। इमरजेंसी की स्थिति को देखते हुए एम्बुलेंस की व्यवस्था भी की गई है।
अकाल एनजीओ ने बताया कि चार दिन से हमारी संस्था ने यहां कैंप लगाया है। हर रोज केवल बुखार और गले खराब होने के मामले आ रहे हैं। हमने लोगों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था भी कर रखी है। ज्यादा गंभीर बीमार व्यक्तियों के लिए डॉक्टर भी उपलब्ध करवा रखे हैं। एक तय समय देकर हम महिलाओं और पुरुषों को बुलाकर इलाज कर रहे हैं। संस्था द्वारा ढाई लाख की दवाई किसानों को दी जा चुकी है। रोज हमें दवाइयों का स्टॉक मंगवाना पड़ रहा है। संस्था के डॉक्टर चरणजीत सिंह ने अमर उजाला से कहा कि रोज करीब 50 से ज्यादा लोग हमारे कैंप में सर्दी खांसी और बुखार की दवाई लेने आ रहे है। इसी तरह के कई एनजीओ और स्वास्थ्य विभाग के कैंप में भी लोग जा रहे है। हम किसानों से लक्षण पूछकर दवाई उपलब्ध करवा रहे है। लोगो को बार-बार कोरोना से बचने के लिए सतर्क भी कर रहे है। इसके अलावा शुगर, ब्लड प्रेशर और पेट संबंधित केस भी सामने आ रहे है।
बीमार लोगों की सूची तैयार करने में जुटी हरियाणा सरकार
हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य अधिकारियों ने अमर उजाला से कहा कि हम ऐसे किसानों की सूची तैयार करेंगे, जिन्हें तेज बुखार या सर्दी खांसी है। सूची के बाद कैंप लगाकर कोविड-19 जांच कराना शुरू करेंगे। यदि कोई किसान कोरोना संक्रमित मिलता है तो उसे बेहतर इलाज सुविधा दी जाएगी। किसानों द्वारा मास्क नहीं लगाने और कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन नही करने के सवाल पर अधिकारियों कहना है कि स्थानीय जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम को स्वास्थ्य जांच के निर्देश दिए है। बॉर्डर पर किसान बड़ी संख्या में एकत्रित हुए हैं। ऐसे में उनकी स्वास्थ्य जांच लगातार जारी रखी जाए। किसानों को कोविड-19 जांच और मास्क पहनने के लिए भी तैयार किया जाएगा।
अभी तक नही आई है रिपोर्ट
बॉर्डर पर उपस्थित स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम ने अमर उजाला से कहा, आसपास के क्षेत्र में कोरोना टेस्ट सरकार द्वारा किये जा रहे हैं। फिलहाल यहां भी एक कैंप लगाया था, जिसकी रिपोर्ट अभी नही आई है। कोरोना के प्रकोप को देखते हुए मोबाइल वैन यहां जल्द लगाएगी। बीमार लोगों को जांच कर दवाइयां उपलब्ध करवाई जा रही है।
दिल्ली सरकार की टीम भी है तैनात
बॉर्डर पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की टीम को भी तैनात कर रखा है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने अमर उजाला से कहा कि, ‘सामान्य बीमारी के लिए हमने यहां डॉक्टरों की टीम ड्यूटी पर लगा रखी है। इमरजेंसी की स्थिति के लिए डॉक्टर और एम्बुलेंस भी हैं। हर दिन शिफ्ट के मुताबिक स्वास्थ्यकर्मियों की ड्यूटी लग रही है।
किसान नहीं कर रहे मास्क का उपयोग
प्रदर्शनकारी किसान मास्क का उपयोग नहीं कर रहे हैं। वही सामाजिक दूरी के नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। सैकड़ों किसान बिना दूरी के साथ खाना खा रहे हैं और जत्थों में रह रहे हैं। चेहरे पर मास्क नहीं पहनने के सवाल पर किसानों का कहना है कि, यहां कोई कोरोना नहीं है। सभी ठीक हैं। पंजाब और हरियाणा के लोगों की इम्युनिटी पावर अच्छी होती है। इसलिए हमें कोई भी कोरोना से डर नहीं लगता है।
फ्री में भी नहीं ले रहे हैंड सेनेटाइजर
प्रदर्शन स्थल पर स्वास्थ्य विभाग की टीम और एनजीओ द्वारा मुफ्त में किसानों को मास्क, साबुन, हैंड सेनेटाइजर वितरित किया जा रहा है। लेकिन किसान इसे लेने में कोई भी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। एनजीओ और स्वास्थ्य विभाग की टीम का कहना है कि, फ्री में देने पर भी कोई हैंड सेनेटाइजर नहीं ले रहा है। मास्क भी लोग नहीं लेते है। इसलिए हमने वितरित करना ही छोड़ दिया है। हमारे कैम्प में सभी जरूरी दवाएं और एहतियाती सामान हैं जिसको लगता है वो खुद आकर ले लेता है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का हल्लाबोल जारी है। दिल्ली बॉर्डर पर किसान आठ दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसान केंद्र सरकार के इन कानूनों को काला कानून बता रहे हैं। वहीं, सरकार भी किसानों को समझाने में जुटी हुई है।